25 वर्षीय पूर्णा साँथरी ने दृष्टिबाधित होने के बावजूद किया UPSC क्रैक, पढ़िए पूर्णा साँथरी की संघर्ष की कहानी
IAS Success Story: किसी भी सफलता को हासिल करने के लिए शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रहना बेहद जरुरी है। जब तक इन्सान शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ नहीं होगा तब तक वह मंजिल के पाने के रास्ते से भटकते रहेगा। अधिकतर लोग जीवन में आने वाली चुनौतियों से हार मानकर रुक जाते हैं। आज की कहानी ऐसी सोंच रखने वाले के लिए प्रेरणा स्त्रोत है। यह कहानी एक ऐसी लड़की की है जिसने अपनी दोनों आंखों की रोशनी खोने के बाद भी UPSC की तैयारी किया और चौथे प्रयास में सफल होकर दिखाया। तमिलनाडु के मदुरई की रहने वाली पूर्णा सांथरी ने 5 साल की उम्र में ही अपनी आंखों की रोशनी खो दी थी लेकिन उन्होंने कभी इस कमज़ोरी को अपने सफलता के रास्ते में बाधा नहीं बनने दी है।
उन्हें अपने सफ़र में बहुत सारी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन हर बार उनके माता पिता और दोस्त उनके साथ खड़े रहे। पूर्णा ने अपने अथक प्रयासों और परिवार वालों की मदद से साल 2019 में यूपीएससी की परीक्षा में 286 रैंक हासिल की। पूर्णा के पिताजी प्राइवेट नौकरी करते हैं तथा उनकी माता एक गृहणी हैं। पूर्णा जब 5 वर्ष की थी तब उनके आंखों की रोशनी कम होने लगी थी। पूर्णा के माता-पिता ने उनकी आंखों का इलाज मदुरै के अरविंद नेत्र हॉस्पिटल में कराया। वहां डॉक्टरों ने बताया कि, पूर्णा को एक दुर्लभ अपक्षयि विकार की बिमारी है। उसके बाद समय बीतने के साथ धीरे-धीरे पूर्णा की दाहिनी आंख पूरी तरह रोशनीहीन हो गई।
पूर्णा की बाईं आंख की सुरक्षा की कोशिश करने के लिए सर्जरी की गई लेकिन शायद भाग्य को कुछ और ही मंजूर था। वह सर्जरी सफल नहीं हुई। समय के साथ-साथ पूर्णा के दोनों आंखों की रोशनी हमेशा के लिए चली गई और वह नेत्रहीन हो गई। हम सभी इस बात का अंदाजा लगा सकते हैं कि बिना नेत्र के जीवन जीना कितना कठिन कार्य है। लेकिन पूर्णा ने हार नहीं मानी। पूर्णा ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मदुरई पिल्लैमर संगम हायर सेकेंडरी स्कूल से प्राप्त की है। पूर्णा बचपन से ही पढ़ने में तेज थीं और वह बोर्ड परीक्षा में अपने स्कूल की टॉपर भी रही हैं। इसके बाद उन्होंने मदुरई के ही फातिमा कॉलेज से इंग्लिश लिटरेचर में बैचलर्स की डिग्री हासिल की।
पूर्णा ने साल 2016 से यूपीएससी परीक्षा की तैयारी शुरू की। पूर्णा को यूपीएससी की तैयारी के लिए कुछ स्टडी मैटेरियल ऑडियो फॉर्मेट में नहीं उपलब्ध हो पाते तो उनके माता-पिता दिन-रात किताबें पढ़ते थे। साथ ही उनके दोस्तों ने कुछ किताबों को ऑडियो फॉर्मेट में बदलने में मदद की। पूर्णा अपनी सफलता का पूरा श्रेय अपने माता पिता और दोस्तों को देती हैं, जिन्होंने उनके साथ यूपीएससी की तैयारी के लिए दिन-रात मेहनत की है। पूर्णा कहती हैं कि परिवार और दोस्त के सहयोग के अलावा आपका खुद पर आत्मविश्वास होना चाहिए। अगर आप अपने आप को ही आश्वस्त नहीं कर पाते हैं तो आप सफल नहीं हो सकते हैं।