Success Story: लंदन की नौकरी छोड़ भारत लौटकर दिव्या मित्तल बनीं IAS, पहली बार में ही क्रैक की UPSC परीक्षा
IAS Officer Divya Mittal: दिव्या मित्तल उत्तर प्रदेश कैडर की आईएएस ऑफिसर हैं। सिविल सर्विस ऑफिसर बनने की उनकी कहानी बड़ी मोटिवेशनल है। दरअसल, वह अपने IAS पति से इस कदर इम्प्रेस हुईं कि उन्होंने लंदन में अपनी लाखों रुपये की नौकरी छोड़ी और फिर IAS बनने का ठान लिया। दिव्या ने 2013 में UPSC Exam क्लियर किया था। वर्तमान में दिव्या जिला मजिस्ट्रेट के रूप में यूपी के मिर्जापुर जिले की कमान संभाल रही हैं। मिर्जापुर DM से पहले वह संत कबीर नगर की डीएम भी रह चुकी हैं। IAS दिव्या मित्तल की जिंदगी अपने आप में ही मोटिवेशन से भरी हुई है।
आईएएस ऑफिसर बनने से पहले वह लंदन में बहुत ही शानदार जॉब कर रही थीं, जिसके लिए उन्हें मोटी सैलरी भी मिलती थी। हालांकि, वक्त ने जिंदगी के रुख में ऐसा बदलाव किया कि वह लंदन से भारत आईं और फिर IAS बन गईं। दरअसल, लंदन की जॉब से उनका मोहभंग हुआ और फिर वह भारत लौटीं। भारत आने के बाद दिव्या ने फैसला किया कि वह विदेश में नौकरी के बजाय अपने देश की सेवा करेंगी। IAS दिव्या मित्तल ने वीसी, बरेली डेवलपमेंट अथॉरिटी; ज्वाइंट एमडी, UPSIDA; सीडीओ; गोंडा और मवाना (मेरठ), मेरठ और सिधौली (सीतापुर) एसडीएम जैसे महत्वपूर्ण पदों को भी संभाला है।
सर्विस ज्वाइन करने के बाद से ही वह बहुत टैलेंटेड आईएएस ऑफिसर रही हैं। मसूरी में ट्रेनिंग के दौरान शानदार प्रदर्शन के लिए उन्हें अशोक बंबावाले अवार्ड से सम्मानित भी किया गया। दिव्या शुरू से ही पढ़ाई में प्रतिभाशाली रही हैं। शायद यही वजह रही कि उन्होंने सबसे पहले IIT Delhi से इंजीनियरिंग की और फिर IIM Bangalore से एमबीए किया। दोनों ही संस्थानों की गिनती दुनिया के टॉप एजुकेशनल इंस्टीट्यूट के तौर पर होती है। सिविल सर्विस ज्वाइन करने से पहले वह लंदन में Derivatives Trader के तौर पर काम करती थीं। दिव्या के IAS बनने की कहानी काफी प्रेरक रही है। दरअसल, उनके पति गगनदीप सिंह कानपुर में IAS Officer हैं। दिव्या ने अपने पिता से प्रेरणा लेते हुए ही सिविल सर्विस में जाने का फैसला किया।
गगनदीप भी कभी इंजीनियर के तौर पर काम करते थे। दिव्या के लिए अपना बना-बनाया करियर छोड़कर सिविल सर्विस में जाना आसान नहीं था। लेकिन उन्होंने अपने मन में ठान रखा था कि वह IAS बनने का अपना सपना नहीं छोड़ने वाली हैं। एक बार उन्होंने बताया था कि लंदन में उनके और उनके पति के लिए पैसे की कोई कमी नहीं थी। लेकिन वह भारत को हमेशा ही मिस करती थीं। यहां गौर करने वाली बात ये है कि दुनिया के सबसे कठिन एग्जाम में से एक UPSC को क्रैक करने के लिए न तो दिव्या ने कोचिंग ली और न ही गगनदीप ने। गगनदीप सिंह ने 2011 में UPSC क्लियर किया, जबकि दो साल बाद 2013 में दिव्या को सफलता मिली, दोनों यूपी कैडर में हैं।