Success Story: पहली बनी IPS अब IAS हैं गरिमा सिंह, कभी पुलिस ने मांगी थी 100 रुपये घूस
IAS Garima Singh Story: व्यक्ति के जीवन में कभी न कभी कुछ ऐसी घटनाएं घटती हैं, जिसे वह जिंदगी भर याद रखता है। वहीं, कुछ ऐसी घटनाएं भी होती हैं, जिसके बाद व्यक्ति का जीवन ही बदल जाता है। कुछ घटनाओं से व्यक्ति का जीवन खुद बदल जाता है, जबकि कुछ घटनाओं से सीखकर व्यक्ति अपना जीवन खुद बदल देता है। आज हम आपको गरिमा सिंह की कहानी बताने जा रहे हैं, जिनसे कभी एक पुलिसकर्मी ने 100 रुपये की घूस मांग ली थी, जिससे वह काफी असहज हो गई थी। उन्होंने देश की सबसे मुश्किल और सबसे प्रतिष्ठित संघ लोक सेवा आयोग सिविल सेवा परीक्षा के माध्यम पहले आईपीएस की नौकरी ज्वाइन की। इसके बाद उन्होंने फिर से तैयारी की और 55वीं रैंक के साथ आईएएस अधिकारी बन गई।
आईएएस अधिकारी गरिमा सिंह का जन्म 14 फरवरी 1987 को यूपी के बलिया जिले में हुआ था। उनका परिवार भी दिल्ली में ही रहता है। गरिमा सिंह बचपन में डॉक्टर बनना चाहती थीं। लेकिन उनके पिता ओंकार सिंह चाहते थे कि बेटी सिविल सेवा में जाए। उनके पिता पेशे से इंजीनियर थे। गरिमा सिंह द्वारा बताए गए एक इंटरव्यू के मुताबिक, वह कॉलेज में पढ़ाई के दौरान मॉल से अपने घर लौट रही थी। ऐसे में घर लौटने में उन्हें देर हो गई थी। इस बीच रास्ते में पड़ने वाली चेक पोस्ट पर पुलिस ने उनका रिक्शा रोककर उनसे पूछताछ की और बाद में 100 रुपये की घूस देने के लिए कहा। उन्होंने इसके लिए मना किया, तो पुलिस ने घर पर कॉल कर जानकारी देने की कही। हालांकि, उन्होंने पुलिस को पैसे नहीं दिए, लेकिन इस घटना के बाद से वह पुलिस के रवैये को लेकर काफी असहज हो गई थी।
गरिमा सिंह ने यूपीएससी सिविल सेवाओं की तैयारी शुरू की। उन्होंने टाइम टेबल के साथ पढ़ाई के साथ सीमित किताबों पर फोकस किया। इसके साथ ही रिविजन पर भी जोर दिया। साल 2012 के प्रयास में उन्होंने सफलता प्राप्त करते हुए सिविल सेवा की फाइनल लिस्ट में अपना नाम देखा, जिसके बाद उनका और उनके परिवार का खुशी का ठिकाना नहीं रहा। सिविल सेवा पास करने पर उन्हें आईपीएस की नौकरी मिली। गरिमा सिंह ने आईपीएस बनने के बाद अलग-अलग जिलों में सेवा की। वह झांसी में एसपी सिटी के पद पर कार्यरत भी रही और इस दौरान सिविल सेवा की भी तैयारी करती रही। गरिमा ने सिविल सेवा में फिर से प्रयास किया और इस बार उन्होंने 55वीं रैंक प्राप्त की और आईएएस अधिकारी बन गई।