कहानी उस परिवार की जहां सब के सब IAS-IPS

जिसकी दीवारें अनुशासन की बनी हों… जिसकी खिड़कियों से प्यार की हवा आती है… जिसकी छत संकल्प सी मजबूत हो… तब जाकर बनता है एक आदर्श घर… आज हम आपको एक ऐसे घर और उसमें रहने वाले परिवारी की कहानी बताएंगे… जो आपको और आपके बच्चों को इन्सपायर करेगी

जिसकी दीवारें अनुशासन की बनी हों… जिसकी खिड़कियों से प्यार की हवा आती है… जिसकी छत संकल्प सी मजबूत हो… तब जाकर बनता है एक आदर्श घर… आज हम आपको एक ऐसे घर और उसमें रहने वाले परिवारी की कहानी बताएंगे… जो आपको और आपके बच्चों को इन्सपायर करेगी… यूपी के प्रतापगढ़ में एक परिवार में चार सगे भाई-बहन और चारों आईएएस – आईपीएस… चारों देश के अलग-अलग राज्यों में नौकरी कर देश की सेवा कर रहे… आज इनकी कहानी
प्रतापगढ़ का रहने वाला हर कोई अपने बच्चों को सुनाता है और प्रेरणा लेता है… 4 भाई-बहनों में 3 आईएएस और एक आईपीएस हैं… प्रतापगढ़ जैसे छोटे शहर के रहने वाले चारों भाई-बहन आज अपनी काबिलियत से अपने जिले और प्रदेश का मान बढ़ा रहे हैं… मिडिल क्लास फैमिली और पिछड़े जिले के रूप में पहचान रखने वाले प्रतापगढ़ में सभी ने पढ़ाई की… जिसके बाद सबसे पहले योगेश ने 2013 में यूपीएससी सिविल परीक्षा पास की IAS बने… जिसके बाद 2015 में माधवी
मिश्रा भी IAS बन गयीं… जून 2016 में क्षमा मिश्रा का IPS में सेलेक्शन हो गया… जबकि सबसे छोटे बेटे लोकेश IAS बन गए… इसी तरह से अनिल मिश्रा के चारों बच्चे आज IPS और IAS हैं… छोटे शहर के रहने वाले चारों भाई-बहन आज हर किसी के लिए एक सीख बन गए हैं… प्रतापगढ़ के लोग आज उस परिवार से प्रेरणा ले रहे हैं… और अपने बच्चों को उस घर की कहानी सुनाते हैं

चारों भाई-बहन में सबसे बड़ी बहन क्षमा मिश्रा आईपीएस हैं और उनकी तैनाती कमांडेंट स्टेट पुलिस लाइन बेंगलुरु में हैं… जबकि उनसे छोटे भाई योगेश आईएएस हैं… इस समय उनकी तैनाती ऑर्डिनेंस फैक्ट्री में है… माधवी मिश्रा का चयन आईएएस में हुआ… जो झारखंड के रामगढ़ में डिप्टी कमिश्नर के पद पर तैनात हैं… घर के सबसे छोटे लोकेश मिश्रा भी घर का नाम रोशन करते हुए आईएएस बने… इनकी तैनाती इस समय झारखंड राज्य के कोडरमा में डीसीसी के पद पर है
आज चार भाई-बहन भले ही अफसर हों… लेकिन उन्होंने लालगंज लीलावती और राम अजोर इंटर कालेज से अपनी पढ़ाई पूरी की… IPS क्षमा मिश्रा ने इंटर और हाई स्कूल में जिले में टॉप किया था… और प्रदेश में छठवां स्थान हासिल किया था… वहीं घर के मुखिया पिता अनिल मिश्र भी मानते हैं कि ये बच्चों की लगन का नतीजा है… साथ ही ईश्वर की शक्ति और आशीर्वाद की वजह से ये संभव हो पाया है… खैर एक ही माता-पिता की संतान के चारों भाई-बहन ने ऊंचाई की जो इबारत
लिखी है… वो दूसरों के लिए अब नजीर बन चुकी है

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