80 हज़ार केस सॉल्व करने वाली लेडी बॉण्ड कब फंसी ?

ये कहानी है एक महिला की। भारत की करोड़ों महिलाओं में से एक। दिखने वो करोड़ों महिलाओं जैसी ही है। लेकिन उसके कारनामे सबसे अलग है। वह करोड़ों जैसी होते हुए भी उनमें एकलौती है। उस जैसी महिला आज तक कोई दूसरी नहीं हुई। वो एक्टर नहीं है लेकिन केस सॉल्व करने के लिए कई बार गूंगी, बहरी, अंधी और पागल का भी रूप धरा। कभी काम वाली बाई, कभी प्रेग्नेंट औरत तो कभी रेहड़ी-पटरी वाली भी बनी।

ये कहानी है एक महिला की। भारत की करोड़ों महिलाओं में से एक। दिखने वो करोड़ों महिलाओं जैसी ही है। लेकिन उसके कारनामे सबसे अलग है। वह करोड़ों जैसी होते हुए भी उनमें एकलौती है। उस जैसी महिला आज तक कोई दूसरी नहीं हुई। वो एक्टर नहीं है लेकिन केस सॉल्व करने के लिए कई बार गूंगी, बहरी, अंधी और पागल का भी रूप धरा। कभी काम वाली बाई, कभी प्रेग्नेंट औरत तो कभी रेहड़ी-पटरी वाली भी बनी। आज वो अपने हुनर से पूरे देश मे पहचानी जाती है। उसने जो रास्ता चुना वो काफी अलग था। ऐसा रास्ता तो आमतौर पर महिलाएं चुनती ही नहीं हैं। लेकिन वो अपने हुनर के दम पर अपने करियर के शिखर पर पंहुची। इसीलिए तो उसे लेडी जेम्स बांड कहा जाता है। जी हां ये कहानी है देश की सबसे पहली महिला डिटेक्टिव रजनी पंडित की। रजनी ने जासूसी को अपना करियर क्यों चुना ? वह किन हालात में डिटेक्टिव बनी ? एक साधारण सी महिला को लेडी जेम्स बॉन्ड का दर्जा कैसे मिला ? इस लंबे सफर में रजनी को क्या-क्या उतार-चढ़ाव देखने पड़े? बड़े-बड़े वाइट कॉलर सूरमाओ के राज रजनी ने अपने सीने में कैसे दफन किए ? यह कहानी इन तमाम सवालों के जवाब को समेटे हुए हैं। जब ये कहानी बोलेगी तो कई राज खोलेगी। कहानी उस ज़माने से शुरू होती है, जब रजनी की उम्र करीब 22 साल रही होगी। वो मुम्बई के जनपद ठाणे में रह रही थीं, जहां उनका जन्म हुआ था। वो कॉलेज में थी, और ग्रेजुएशन के पहले साल में पढ़ाई कर रही थी. वो हमेशा यही सोचा करती थी कि कैसे एक दिन वो अपने पांव पर खड़ी होगी और उसकी अपनी एक पहचान होगी। उसके मन में हमेशा यही।ख़याल चलता रहता था। यही वजह थी कि उसने ग्रेजुएशन के दौरान ही काम करने का फैसला किया और एक ऑफिस में बतौर क्लर्क जॉब की शुरुआत कर दी। रजनी में एक बात औरों से अलग थी, चीजों को देखने का तरीका। वो हमेशा चीजों को अलग नज़रिए से देखती थी, जिस नजरिए से आम तौर पर लोग नहीं देख पाते।  किसी बात की तह तक जा कर बाल की खाल निकाल लेना उसका शगल था और ये उसने अपने पिता से सीखा था। असल मे रजनी के पिता सीआइडी में कार्यरत थे। वो अनजाने में ही पिता से इन्वेस्टिगेशन के छोटे छोटे गुर सीख रही थी. एक दिन रजनी के ऑफिस में काम करने वाली सहकर्मी महिला ने रजनी से बताया कि उसके घर में चोरी हो गई है लेकिन चोर का पता नहीं लग पाया है. महिला ने ये भी बताया कि उसे अपनी नई नवेली बहु पर शक है. महिला ने इस गुत्थी को सुलझाने के लिए रजनी से मदद मांगी। रजनी आज तक पिता के जासूसी के किस्से सुनती आई थी लेकिन अब रजनी के सामने खुद अपना किस्सा गढ़ने का मौका था. उसने बिना देर किए हां कर दी. इसके बाद रजनी ने उस औरत के घर से लेकर उसकी गली तक पर नजरें जमा दीं. रजनी की मेहनत रंग लाई और उसने गुत्थी सुलझा ली. असल में औरत का शक गलत था, औरत को अपनी बहु पर शक था लेकिन असल चोर उसी औरत का बेटा निकला।

तो ये था रजनी के जीवन का पहला केस जिसे उन्होंने सॉल्व कर लिया था. इसके बाद लोग उन्हें ढूंढ ढूंढ कर अपना केस देने लगे और वह एक के बाद एक केस सॉल्व करने लगी. रजनी अपने इन कारनामों की वजह से दोस्तों के बीच मशहूर हो रही थी लेकिन घर पर लोगों को भनक तक नहीं लगी। लेकिन शोहरत भला कहां छुपने वाली थी. जब इस बारे में रजनी के पिता को मालूम हुआ तो उन्होंने रजनी को आगाह किया कि “इस काम में कितना खतरा है. लेकिन साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि वो उसे रोकेंगे नहीं, अगर इस काम में होने वाले खतरों को जानते हुए भी वो ये करना चाहती है तो करे.”। पिता की हरी झंडी मिल जाने के बाद रजनी को अब किसी की परवाह नहीं थी. उसने अपनी खोजबीन जारी रखी. धीरे धीरे तो कई न्यूज़ चैनल्स और अख़बारों ने रजनी को कवर करना शुरू कर दिया. इस तरह रजनी भारत की पहली महिला डिटेक्टिव (जासूस) बन गई.

रजनी के जीवन का सबसे कठिन केस एक हत्या की गुत्थी को सुलझाना था. शहर में एक पिता-पुत्र की हत्या हो गई थी मगर कातिल का कोई सुराग नहीं मिला था. ये केस रजनी के पास पहुंचा. उसने जब केस स्टडी किया तो उसके दिमाग में कुछ खटका. उसे लगने लगा कि हो न हो इस क़त्ल के तार उनके घर से ही जुड़े हैं. अब दिक्कत ये थी कि उस घर में कैसे घुसा जाए. तब रजनी ने वो किया जिसने उसे पक्की जासूस बना दिया. जिस महिला के पति और बेटे की हत्या हुई थी रजनी उसके घर में नौकरानी बन कर घुसी. वो महिला जब बीमार पड़ी तो रजनी ने उसकी खूब सेवा की और उसका विश्वास जीत लिया. धीरे धीरे रजनी उस महिला से नजदीकियां बढ़ाने में कामयाब हो रही थी लेकिन उसी वक्त कुछ ऐसा हुआ जिससे वो शक के घेरे में आगई. असल में एक दिन रजनी महिला के पास थी, कमरे में एक दम सन्नाटा पसरा हुआ था कि इस बीच रिकॉर्डर का क्लिक बटन आवाज कर गया. किसी तरह रजनी ने खुद को बचा तो लिया मगर शक के घेरे में जरूर आगई. अब उस महिला ने रजनी का बाहर निकलना तक बंद कर दिया. रजनी को उस महिला के घर में काम करते हुए 6 महीने बीत चुके थे मगर अभी तक ऐसा कोई सबूत हाथ नहीं लगा था जो उस महिला को कातिल साबित कर सके. एक दिन एक शख्स उस महिला से मिलने आया. उनकी बातों से रजनी जान गई कि पिता पुत्र की हत्याएं उस व्यक्ति ने ही की हैं. लेकिन अब दिक्कत थी कि वो घर से बाहर कैसे जाए क्योंकि महिला ने उसे बाहर जाने से मन किया था. तभी रजनी के जासूसी दिमाग में एक उपाय आया। उसने किचन से चाकू लिया और अपना पैर काट लिया. वो मालकिन के पास ये बहाना ले कर गई कि उसका पैर कट गया है उसे इसकी पट्टी कराने डॉक्टर के पास जाना होगा. रजनी के पैरों से बहता खून देख शायद उस महिला को कुछ और सोचने का समय नहीं मिला। इसीलिए उसने मंजूरी दे दी. रजनी जैसे ही घर से बाहर निकली वो भागती हुई PCO बूथ पर गई और अपने क्लाइंट को फोन करके बताया कि “जल्दी से पुलिस लेकर उस महिला के घर पहुंचो, कातिल मिल गया है.”  कुछ ही देर में वहां पुलिस पहुंच गई और उन दोनों को गिरफ्तार कर लिया. जांच के बाद पता चला कि वो व्यक्ति उस महिला का प्रेमी था और उसी ने महिला के कहने पर पिता और पुत्र को मारा था, जिससे उनका रास्ता साफ हो जाए. रजनी के लिए ये आज तक की सबसे बड़ी सफलता थी.

इसके बाद रजनी का हौसला और बढ़ गया. इस केस को सॉल्व करने के बाद रजनी ने भेष बदलकर कुछ और केस भी सॉल्व किए. एक बार रजनी ने प्रेग्नेंट औरत बनकर तो दूसरी बार फेरीवाले का भेष बना कर केस सॉल्व किया. रजनी अपने काम मे कुछ  इस तरह रमी कि शादी तक नहीं की।  जासूसी ही उसकी जिंदगी थी. असल में उन्होंने काम में खुद को इतना मशगूल कर लिया कि घर बसाने की कभी ख्वाहिश ही नहीं उठी। लोगों की रजनी पंडित से उम्मीदे बढ़ रही थी साथ ही काम भी बढ़ रहा था। बढ़ते काम को देख रजनी ने 1991 में अपनी एजेंसी खोल ली. एक मामले में एक व्यक्ति ने रजनी से मदद मांगी. असल में उस आदमी को काम के सिलसिले में बार बार विदेश दौरों पर जाना पड़ता था. वो जब एक बार विदेश दौरे पर था तो इसी दौरान उसका 7 साल बेटा खो गया जो मिल नहीं रहा था. रजनी की छानबीन के बाद पता चला कि उस व्यक्ति की पत्नी का किसी से अफेयर चल रहा था और उसने अपने बॉयफ्रेंड के साथ मिलकर बच्चे को लोनावाला ले जाकर छोड़ दिया था. बाद में बच्चा मिल गया.

कहते हैं कि रजनी ने छोटे बड़े केस मिलाकर 75,000 से ज़्यादा केस सॉल्व किए हैं. 22 साल की थी जब जासूस बनने की सोची, तब से लेकर आज 60 साल तक की उम्र तक ऐसे कई मौके आए जब उनकी जान पर बन आई, लेकिन “जाको राखे साइंयां, मार सके न कोई”। रजनी आज भी उसी दमखम के साथ काम कर रही हैं। उन्होंने जासूसी पर दो किताबें फेसेस बिहाइंड फेसेस यानी चेहरे के पीछे चेहरे और मायाजाल भी लिखी. उन्हें कई अवार्ड भी मिले। इतनी शोहरत के साथ रजनी को एक मामले में ज़िल्लत भी उठानी पड़ी। उन्हें 4 साल पहले पुलिस द्वारा इस आरोप में गिरफ्तार किया गया कि उन्होंने एक केस के दौरान अपने क्लाइंट के लिए गलत तरीके से कॉल डिटेल्स निकलवाई थीं. इस मामले में रजनी के दो सहकर्मी भी गिरफ्तार हुए थे। लेकिन रजनी ने इसे अपने काम का हिस्सा करार दिया…। बहरहाल महिला जासूसों की दुनिया में महाराष्ट्र की पहली महिला जासूस का खिताब हासिल करने वाली रजनी पंडित को आज भारत की प्रथम महिला जासूस के रूप पहचाना जाता है। ये उनकी हिम्मत और हौसला ही है कि आज उन्हें लेडी जेम्स बॉण्ड कहा जाता है।

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