अनाथालय में रहे, चपरासी की नौकरी की, अब बन गए IAS
आज किस्सा उस आईएएस अधिकारी का जो एकदम अद्भुत और अविश्वसनीय है… कहानी उस लड़के की जो कभी दाने-दाने को मोहताज हुआ करता था
आज किस्सा उस आईएएस अधिकारी का जो एकदम अद्भुत और अविश्वसनीय है… कहानी उस लड़के की जो कभी दाने-दाने को मोहताज हुआ करता था… जिसके सिर पर खुद की छत तक नहीं थी… जिसने बहुत ही कम उम्र में अपने पिता खो दिया था… जिसको घर की खराब आर्थिक स्थिति की वजह से दो छोटी बहनों के साथ अनाथालय में रहना पड़ा… लेकिन आज वो शख्स एक आईएएस अफसर है… नाम है मोहम्मद अली शिहाब… जिंदगी की छोटी-बड़ी असफलताओं से घबराने वाले लोगों के लिए केरल के रहने वाले मोहम्मद अली शिहाब की लाइफ स्टोरी काफी प्रेरणादायी साबित हो सकती है… उन्होंने बचपन से काफी संघर्ष किया… हालांकि वो कभी भी किसी परेशानी से घबराए नहीं और अपनी मंजिल की तरफ बढ़ते गए… मोहम्मद अली शिहाब मूल रूप से केरल के मल्लपुरम जिले के गांव एडवान्नाप्पारा के रहने वाले हैं… उनका जन्म 15 मार्च 1980 को कोरोत अली और फातिमा के घर हुआ था… शिहाब के एक बड़ा भाई… एक बड़ी बहन और छोटी दो बहनें हैं… शिहाब का बचपन काफी मुश्किल हालात में गुजरा
जहां कई लोग असफलता को अपनी बुरी किस्मत बताकर प्रयास करना छोड़ देते हैं… वहीं कई लोग ऐसे भी हैं जो हालातों के आगे डटकर खड़े रहते हैं… और दुनिया को अपना लोहा मनवाते हैं… उन्हीं लोगों में से एक हैं मोहम्मद अली शिहाब… केरल के रहने वाले मोहम्मद शिहाब की कहानी हालातों के बीच एक उम्मीद की किरण जलाती है… आज शिहाब एक आईएएस ऑफिसर हैं लेकिन एक समय ऐसा था जब उन्हें अनाथालय में रहना पड़ा था… उनकी मां न तो पढ़ी-लिखी थी और न ही उन्हें कोई नौकरी मिली… जिससे वो अपने बच्चों का पेट पाल सकें… गरीबी की वजह से उनकी मां ने शिहाब और उनके भाई-बहनों को अनाथालय में छोड़ दिया… लेकिन अनाथालय ही वो जगह थी जहां शिहाब का पूरा जीवन बदल गया… अनाथालय में रहने के दौरान उनका ध्यान पढ़ाई की ओर गया और वो वहां के अन्य बच्चों से ज्यादा होशियार बनकर उभरे… उन्होंने अपनी 12वीं तक की पढ़ाई अनाथालय में रहकर ही पूरी की और अपनी मेहनत के साथ 2011 में 226वीं रैंक पाकर यूपीएससी में सफलता हासिल की
मोहम्मद अली शिहाब पढ़ाई में काफी होशियार थे… आप उनकी इस बात का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि वो अब तक 21 परीक्षाएं पास चुके हैं… बता दें कि वो साल 2004 में चपरासी फिर रेलवे टिकट परीक्षक और जेल वार्डन के पद पर भी काम कर चुके हैं… शिहाब दावा तो नहीं करते… लेकिन ये कहते हैं कि शायद वो देश के पहले ऐसे आईएएस हैं… जो अनाथालय से निकले हैं… साल 2011 में वो यूपीएससी की सिविल सर्विसेस परीक्षा में 226 रैंक हासिल कर नागालैंड कैडर के आईएएस अधिकारी बन गए… तीसरे प्रयास में सिविल सेवा परीक्षा क्लियर करने वाले मोहम्मद शिहाब वर्तमान में नागालैंड कैडर के आईएएस ऑफिसर हैं… हर साल लाखों छात्र यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी करते हैं… लेकिन कई वजहों से सफलता प्राप्त करने से चूक जाते हैं… मोहम्मद शिहाब की जर्नी उन सभी उम्मीदवारों के लिए एक मिसाल है… जो हालात के आगे घुटने टेक लेते हैं