कहानी उस IAS की जिसने मजदूरी की लेकिन नहीं छोड़ी पढ़ाई

आज हम आपको बताएंगे उस शख्स की कहानी जिसे आईएएस बनने के लिए दो परीक्षाएं देनी पड़ी… पहली परीक्षा तो उसकी गरीबी ने ली… और दूसरी परीक्षा पास करके वो बन गया आईएएस अधिकारी

आज हम आपको बताएंगे उस शख्स की कहानी जिसे आईएएस बनने के लिए दो परीक्षाएं देनी पड़ी… पहली परीक्षा तो उसकी गरीबी ने ली… और दूसरी परीक्षा पास करके वो बन गया आईएएस अधिकारी… उसके पास न तो रहने के लिए छत थी न ही पैसे… पैसों के लिए उसने मजदूरी की लेकिन पढ़ाई नहीं छोड़ी… किस्मत को भी इसके आगे झुकना पड़ा… क्योंकि उसने अपनी किस्मत खुद लिखी थी… हम सभी के बीच कई ऐसे लोग हैं… जो जीवन में अभावों की वजह से अपने सपनों को छोड़ देते हैं… और जीवन भर अफसोस करना चुन लेते हैं… लेकिन हमारे बीच कई लोग ऐसे भी होते हैं जो अपनी मेहनत और संकल्प से जीवन के अभावों को भी चुनौती देकर आगे बढ़ते रहते हैं… उन्हीं लोगों में से एक हैं आईएएस एम. शिवागुरू प्रभाकरन… शिवागुरू का जीवन अभावों से भरा रहा लेकिन उनके जुनून के आगे सभी परेशानियों ने घुटने टेक दिए… शिवागुरू प्रभाकरन का सफर 2004 से शुरू होता है… जब उन्हें घर की आर्थिक स्थिति खराब होने की वजह से अपने सपनों को छोड़ना पड़ा… वो इंजीनियरिंग की पढ़ाई करना चाहते थे… लेकिन उनकी फैमिली के लिए इतने महंगे कोर्स को कराना असंभव था

शिवा अपने परिवार को सपोर्ट करने के लिए मील में ऑपरेटर की नौकरी करने लगे… उन्होंने लगभग 2 सालों तक ऑपरेटर का काम किया… और साथ ही खेती में भी हाथ बंटाया… मां और बहन को मेहनत करता देख उन्होंने ये निश्चय कर लिया कि वे कड़ी मेहनत कर अपने भाई को पढ़ाएंगे… मैंने जो पैसे कमाए वो घर में दिए और अपनी पढ़ाई के लिए जोड़ कर रखा… क्योंकि मैं किसी भी हालत में अपने सपनों को मरने नहीं देना चाहता था… शिवागुरू ने भाई को इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद और बहन की शादी के बाद… उन्होंने 2008 में अपनी पढ़ाई पूरी करने की कोशिश की… वेल्लोर में थानथाई पेरियार गवर्नमेंट इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में सिविल इंजीनियरिंग में दाखिला लिया… इसके साथ ही शिवागुरू ने चेन्नई आकर आईआईटी मद्रास एंट्रेंस एग्जाम पास करने का निर्णय लिया… लेकिन अपने सपने पूरे करने के लिए भी उन्होंने एक बड़ी रकम चुकाई… जब वे इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे थे… तब उनके पास रहने के लिए घर नहीं था… जिसकी वजह से उन्हें प्लेटफॉर्म पर ही सोना पड़ता था… शिवा वीकेंड में प्लेटफॉर्म पर सोते और वीक डे पर कॉलेज में फीस भरने के लिए पार्ट- टाइम जॉब करते

शिवागुरू ने परीक्षा के लिए जी-जान से मेहनत की लेकिन अपने पहले तीन प्रयासों में असफल होते रहे… प्रभाकरन ने फिर भी हार नहीं मानी और 2018 की यूपीएससी की परीक्षा में 101 रैंक हासिल कर आईएएस ऑफिसर बन गए… प्रभाकरन का जीवन उन सभी के लिए प्रेरणा है… जो हालातों के सामने घुटने टेक कर अपने सपनों को छोड़ देते हैं… ये कहानी उन सभी छात्रों के लिए है जो बुरे हालातों का बहाना बनाते हैं… अगर कड़ी मेहनत और सच्ची लगन से कोई भी काम किया जाए… तो दुनिया की कोई भी ताकत उसे पूरा करने से आपको रोक नहीं सकती

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