दो बार फेल होने पर भी नहीं टूटा हौसला, तीसरी बार सीधे IAS

यूपीएससी एग्जाम निकालने के लिए अच्छे अंको के साथ-साथ एक धैर्य भी होना चाहिए… ये एग्जाम न केवल आपके दिमाग के लेवल को जानता है

यूपीएससी एग्जाम निकालने के लिए अच्छे अंको के साथ-साथ एक धैर्य भी होना चाहिए… ये एग्जाम न केवल आपके दिमाग के लेवल को जानता है… बल्कि आपके धैर्य का भी इम्तिहान लेता है… इसीलिए इस परीक्षा में सफलता सिर्फ उन्हीं छात्रों को मिलती है… जिनमें ये दोनों खूबियां होती हैं… कुछ इसी तरह की खूबी थी अजमेर की रहने वाली परी बिश्नोई में… जिन्होंने यूपीएससी के एग्जाम में दो बार फेल होने के बावजूद हार नहीं मानी… और अंत में अपना आईएएस बनने का सपना साकार कर लिया… आईएएस परी बिश्नोई का नाम काफी कम समय में बहुत चर्चित हो गया… आज उनके बारे में हर कोई जानना चाहता है… और उनकी तरह ही बनना भी चाहता… वो कई लड़कियों की प्रेरणा बनकर सामने आई हैं… बीकानेर की रहने वाली परी बिश्नोई आज एक आईएएस ऑफिसर हैं… परी बिश्नोई ने अपने तीसरे अटेम्पट में सिविल सर्विसेज का एग्जाम पास किया और 30वीं रैंक हासिल की… इसके साथ ही परी बिश्नोई इंटरव्यू के बाद सीधे एक आईएएस बनने वाली पहली बिश्नोई महिला भी हैं

परी बिश्नोई के मुताबिक उनके आईएएस बनने के पीछे सबसे बड़ा हाथ उनके माता-पिता का रहा… उनके पिता पेशे से वकील हैं… वहीं, उनकी मां इंस्पेक्टर हैं… बचपन से ही उनके माता-पिता ने उन्हें पढ़ाई के लिए प्रोत्साहित किया… और हमेशा उनका साथ दिया… जब परी अपने पहले दो प्रयासों में असफल रही… तब उनकी मम्मी ने उनका हौसला बढ़ाया और कभी ना हार मानने का जज्बा भी दिया… यही वजह थी कि परी ने अपने तीसरे अटैम्पट में यूपीएससी का एग्जाम क्रैक कर लिया… और 30वीं रैंक भी हासिल कर ली… परी ने 12वीं की परीक्षा पास करने के बाद आईएएस बनने का सपना देख लिया था… जिसके लिए उन्होंने ग्रेजुएशन के तुरंत बाद ही अपनी तैयारी शुरू कर दी… अपनी आगे की पढ़ाई भी जारी रखी और मास्टर्स की डिग्री भी हासिल की… परी के पिता का नाम मनीराम बिश्नोई है… जो कि एक वकील हैं जबकि उनकी माता का नाम सुशीला बिश्नोई है… जो अजमेर के जीआरपी में थाना प्रभारी हैं

परी के मुताबिक करंट अफेयर्स के साथ-साथ वो अपने नोट्स भी बनाती थी… उनके मुताबिक आईएएस बनने के लिए हर दिन थोड़ा पढ़ना जरूरी है… जिससे रिवीजन के लिए काफी समय मिलता है… इसके अलावा परी के अनुसार हर छात्र को अपनी आंसर राइटिंग की प्रैक्टिस भी करते रहना चाहिए… साल 2019 में परी ने अपने तीसरे प्रयास में ये कठिन परीक्षा न केवल पास की बल्कि 30वीं रैंक के साथ टॉप भी किया… परी इस कामयाबी का पूरा क्रेडिट परिवार वालों और खासकर अपनी मम्मी को देती हैं… उन्होंने उनके काम और जज्बे से प्रभावित होकर ही आईएएस बनने का सपना देखा था… सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी के दौरान भी जब वो पेल होतीं या निराश होतीं तो उनकी मां उन्हें प्रोत्साहित करती थीं… परी का मानना है कि जीवन में मिलने वाली किसी भी कठिनाइ या असफलता से निराश नहीं होना चाहिए… ‌इसकी जगह पूरी ईमानदारी के साथ कोशिश करते रहना चाहिए

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