Success Story: सड़क पर चूड़ियां बेचने वाला कैसे बना IAS ऑफिसर? जानें कैसे हासिल किया इतना बडा मुकाम?

Success Story of IAS Officer Ramesh Gholap: एक कहावत है किसी चीज को दिल से चाहो, तो पूरी कायनात आपको उससे मिलाने की कोशिश करती है। कुछ ऐसी ही कर दिखाया है महाराष्ट्र के रहने वाले रमेश घोलप ने। इन्होंने 10 साल की उम्र तक मां के साथ सड़कों पर चूड़ियां बेची, लेकिन आज एक शीर्ष IAS अधिकारी बन चुके है। इनका जीवन काफी संर्घषों से भरा रहा, लेकिन नजरें लक्ष्य पर टिकी थी। परिणाम आज इनकी गिनती देश कद्दावर IAS ऑफिसरों में होती है।

रमेश ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने गांव में रहकर ही पूरी की थी। इसके बाद वे अपनी आगे की पढाई पूरी करने के लिए अपने चाचा के गांव चले गए थे। साल 2005 जब रमेश कक्षा 12वीं में थे, तब उनके पिता का अचानक निधन हो गया। ऐसे में रमेश के लिए उनके घर पहुंचना बेहद जरूरी था। चाचा के गांव से रमेश को अपने घर जाने में बस से केवल 7 रुपये लगते थे, लेकिन विकलांग होने की वजह से रमेश का केवल 2 रुपये ही किराया लगता था लेकिन वक्त की मार ऐसी थी कि रमेश के पास बस का किराया देने के लिए उस समय 2 रुपये भी नहीं थे।

रमेश घोलप यूपीएससी परीक्षा के दूसरे अटेंप्ट में सफल हो गए थे। साल 2011 की यूपीएससी परीक्षा में उन्होंने 287वीं रैंक हासिल की थी। उसी साल स्टेट सर्विस परीक्षा में वह राज्य टॉपर बने थे। आईएएस रमेश घोलप झारखंड कैडर में तैनात हैं। फिलहाल वह झारखंड में स्थित गढ़वा के जिलाधिकारी हैं। रमेश कहते हैं कि ज कभी वह बेसहारे की मदद करते हैं तो उन्हें अपनी मां की वह स्थिति याद आ जाती है, जब पेंशन के लिए उनकी अधिकारियों के दरवाजे पर गिरगिराते रहती थी। आज रमेश लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा बन चुके हैं।

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