कहानी केरल की पहली आदिवासी महिला के आईएएस अफसर बनने की, दोस्तों ने चंदा जुटाकर इंटरव्यू के लिए भेजा था दिल्ली

IAS Sreedhanya Suresh Success Story: हर साल UPSC परीक्षा से कई ऐसी कहानियां सामने निकलकर आती हैं जो दिल को छू लेती हैं और लोगों को मुश्किल हालात में भी हार न मानने का सबक़ देती हैं। ऐसे ही एक कहानी है IAS Sreedhanya Suresh की, जिन्होंने यह साबित कर दिया कि मुश्किल से मुश्किल परिस्थितियों में भी सच्ची मेहनत और लगन से सफलता हासिल की जा सकती है। श्रीधन्या साल 2018 में यूपीएससी एग्जाम पास कर आईएएस अफसर बनी थीं। आईएएस (IAS) अफसर बनने वाली वह केरल की पहली आदिवासी लड़की हैं। हालांकि इस कामयाबी का रास्ता काफी चुनौती भरा था। आइए जानते हैं श्रीधन्या की सफलता की कहानी।

श्रीधन्या सुरेश नाम गरीबी, मेहतन और कामयाबी की मिसाल का है। महज 22 साल की उम्र में इन्होंने कमाल कर दिखाया। वर्ष 2018 में 410वीं रैंक हासिल कर UPSC परीक्षा पास की। इसी के साथ ही केरला की पहली जनजाति महिला आईएएस बनने का रिकॉर्ड श्रीधन्या सुरेश के नाम दर्ज हो गया। केरल का वायनाड़ आदिवासी इलाका है। यहां रोजगार और बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। लोग जंगलों में टोकरी, धनुष तीर और मनरेगा के भरोसे पेट पाल रहे हैं। श्रीधन्या के पिता भी दिहाड़ी मजदूर हैं। गांव के बाजार में धनुष और तीर बेचने का काम करते हैं। यह मजदूर पिता खुद नहीं पढ़ सका, मगर बेटी को पढ़ने-लिखने का भरपूर अवसर दिया और आईएएस की कुर्सी तक पहुंचा दिया।

श्रीधन्या सुरेश ने 2016 और 2017 में यूपीएससी एग्जाम दिया, लेकिन सफल नहीं हो सकीं। इसके बाद उन्होंने 2018 में फिर परीक्षा दी और इस बार उन्होंने 410वीं रैंक हासिल कर पूरे समाज का सिर ऊंचा कर दिया। श्रीधन्या ने एक इंटरव्यू में बताया था कि जब पता चला कि यूपीएससी की लिखित परीक्षा में वह पास हो गईं हैं तो यह खबर सुनकर उनके घर में हर कोई उत्साहित हुआ, लेकिन कुछ दिन बाद ही सबके चेहरे उतर गए। दरअसल, अब इंटरव्यू देने के लिए दिल्ली जाना था और दिल्ली जाने के लिए किराये के पैसे नहीं थे। इस बात की जानकारी जब श्रीधन्या के दोस्तों को मिली तो उन्होंने मिलकर 40 हजार रुपये का चंदा इकट्ठा किया और उन्हें दिल्ली भेजा। इसके बाद श्रीधन्या का रिजल्ट आया, जिसमें वह पास हो गईं।

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