एक छोटे गांव से ऑक्सफोर्ड तक का सफर, IPS इल्मा अफरोज की कहानी

जिन्होंने खोतों में भी काम किया… बचपन में ही पिता का साया उनके ऊपर से उठ गया लेकिन जो मंजिल चुनी गई… उसके लिए मेहनत में कोई कमी नहीं आई

आईएएस आईपीएस अफसर बनना आसान नहीं होता… ये तब और कठिन हो जाता है… जब पढ़ाई के लिए जरूरतें पूरी नहीं हो पाएं… आज हम आपको एक ऐसी आईपीएस अफसर की कहानी बता रहे हैं… जिन्होंने खोतों में भी काम किया… बचपन में ही पिता का साया उनके ऊपर से उठ गया लेकिन जो मंजिल चुनी गई… उसके लिए मेहनत में कोई कमी नहीं आई… मुरादाबाद के छोटे से कस्बे कुंदरकी से निकली एक छोटी सी लड़की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी, न्यूयॉर्क पहुंची… और फिर यूपीएससी परीक्षा टॉप करके बनी आईपीएस ऑफिसर… हम बात कर रहे हैं साल 2017 की टॉपर इल्मा अफरोज की… जिनकी जिंदगी का सफर किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं लगता… उनके जीवन में बचपन से इतने संघर्ष आए… और जिस हिम्मत से इल्मा ने उनका सामना किया… वो काबिलेतारीफ है… लेकिन ये कहानी, कहानी न होकर इल्मा के वास्तविक संघर्ष थे

उनकी मां ने बेटी की पढ़ाई पर ध्यान देना बेहतर समझा… इल्मा भी बचपन से ही पढ़ने में काफी तेज थीं… उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई मुरादाबाद के स्कूल से की… इसके बाद दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफेंस कॉलेज से फिलॉसफी में ग्रेजुएशन पूरा किया… अपनी मेहनत के बल पर इल्मा को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से स्कॉलरशिप मिली… और उन्होंने वहीं से अपना पोस्ट ग्रेजुएशन भी किया… हालांकि, इल्मा को बाकी खर्चे पूरे करने के लिए कभी बच्चों को ट्यूशन पढ़ाना पड़ता… तो कभी उनकी देखभाल भी करनी पड़ती… इल्मा को पोस्ट ग्रेजुएशन करने के बाद ही न्यूयॉर्क में एक अच्छी नौकरी का ऑफर भी मिला गया… वो चाहती तो इस नौकरी को ज्वॉइन करके आराम से अपना जीवन बितातीं… लेकिन उन्होंने इस नौकरी से पहले अपने परिवार और अपने देश को प्राथमिकता दी

जब सर्विस चुनने की बारी आयी तो उन्होंने आईपीएस चुना… बोर्ड ने पूछा भारतीय विदेश सेवा क्यों नहीं… इस सवाल पर इल्मा का जवाब था… नहीं सर मुझे अपनी जड़ों को सींचना है… अपने देश के लिए ही काम करना है… इल्मा की ये कहानी बताती है कि जमीन से जुड़े रहना कितना जरूरी है… जमीन से जुड़ें रहकर निगाह लक्ष्य पर रखने से किसी भी मंजिल को पाया जा सकता है… इल्मा ने कभी अपनी सफलता को सिर पर नहीं चढ़ने दिया… न ही इस सफलता की राह में मिले लोगों के सहयोग को ऊंचाई पर पहुंकर भुलाया… बल्कि इस संघर्ष में जो भी उनके साथी बने… सबको थैंक्स कहा और जरूरत पड़ने पर उनकी मदद करने में कभी पीछे नहीं हटीं… तो ये थी आईपीएस इल्मा अफरोज की कहानी… ब्यूरोक्रेसी की हर खबर के लिए जुड़े रहिए ब्यूरोक्रेसी लाइव के साथ

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