उरी अटैक से दिल पर लगी चोट तो कानपुर की दिव्या बन गई IAS

IAS Officer Divya Mishra Success Story: हर साल लाखों छात्र सिविल सर्विसेज के लिए एग्जाम देते हैं लेकिन इस एग्जाम की कसौटी पर कुछ सौ छात्र ही खरे उतर पाते हैं। आज हम आपको ऐसी ही एक छात्रा के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने अपनी मेहनत और लगन से इस कठिन एग्जाम को क्लियर किया है। साथ ही यह भी बताएंगे कैसे इंडियन आर्मी और उरी हमले ने उन्हें आईएएस बनने के लिए प्रेरित किया। दरअसल, हम बात कर रहे हैं IAS Divya Mishra की, जिन्होंने अपने भाई को आर्मी में जाते देख सिविल सर्विस जॉइन करने का इरादा किया। हालांकि, उनकी शुरू से इच्छा थी मगर इसी बीच हुए उरी आतंकवादी हमले ने उनके इरादे को और पक्का कर दिया।
आईएएस दिव्या मिश्रा उत्तर प्रदेश के कानपुर की रहने वाली हैं। वह बचपन से ही पढ़ाई में काफी होशियार रही हैं और उनके घर में केवल पढ़ाई-लिखाई माहौल रहा है। आईएएस दिव्या मिश्रा की के पिता दिनेश मिश्रा कानपुर में स्थित नवोदय विद्यालय के प्रिंसिपल हैं और उनकी मां मंजू मिश्रा एक होममेकर हैं। वहीं, दिव्या का छोटा भाई दिव्यांशु मिश्रा सेना में लेफ्टिनेंट के पद पर हैं। आईएएस दिव्या मिश्रा ने अपनी पढ़ाई की शुरुआत नवोदय विद्यालय, उन्नाव से की थी। आईएएस दिव्या मिश्रा ने 10वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा में 96.6 प्रतिशत लाकर टॉप किया और 12 वीं कक्षा में 92.4 प्रतिशत नंबर लेकर आईं। इसके बाद दिव्या ने AKTU से B.Tech की पढ़ाई की और ब्रॉन्ज मेडल जीता। बाद में PhD किया।
दिव्या ने पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई के दौरान ही यूपीएससी एग्जाम की तैयारी करनी शुरू कर दी थी। आईएएस दिव्या मिश्रा ने साल 2020 में तीसरी बार में यूपीएससी एग्जाम पास करके 28वीं रैंक हासिल की और एक आईएएस अधिकारी बनीं। हाल ही में एक इंटरव्यू में IAS दिव्या सिविल सर्विसेज में आने के सवाल पर कहती हैं- मेरे भाई का इंडियन आर्मी में सेलेक्शन हो गया। अभी वो लेफ्टिनेंट के पद पर हैं। मेरे पूरे परिवार से कोई भी डिफेंस फोर्सेज में नहीं गया। ऐसे में भाई के जाने के बाद एक अलग अनुभव हुआ। इसी बीच उरी हमला हो गया। इसने मेरे अंदर अलग लेवल का इमोशन पैदा किया और सिविल सर्विस में जाने के लिए प्रेरित किया। क्योंकि मैं भी अपने तरीके से देश की सेवा करना चाहती थी।